Saturday, January 9, 2016

कब्ज घर घर में व्याप्त आजकी एक ज्वलंत समस्या है। IMA की गोष्टी में कब्ज के कारण व निवारण पर हुई गहन चर्चा।



कब्ज घर घर में व्याप्त आज की  एक ज्वलंत समस्या है। 
IMA की गोष्टी में  इस विषय के कारण  व निवारण पर हुई  गहन चर्चा। 

      आज शाम होटल मानसिंघ में IMA, याने  इंडियन मेडिकल असोसिएशन, अजमेर द्वारा आयोजित "कब्ज के कारण व निवारण" पर एक कार्यशाला का आयोजन किया  गया।  जयपुर के एस आर कल्ला हॉस्पिटल से प्रमुख वक्ता के रूप में आमंत्रित डॉ. मुकेश कल्ला व डॉ एस एस ताम्बी ने गहनता से इस समस्या पर प्रकाश डाला।   सभा के चेयर पर्सन डॉ जी एस झाला व  राज्य इकाई के वाइस प्रेजिडेंट डॉ जवाहर लाल गार्गिया, अजमेर ब्राँच  प्रेजिडेंट डॉ राजकुमार जयपाल, सचिव डॉ  हरबंस सिंह दुआ मंच पर विराजमान थे, मंच संचालन डॉ अशोक मित्तल ने किया।
कारण क्या हैं ??          
 आधुनिक जीवन शैली, फ़ास्ट फ़ूड, कम फाइबर वाली डाइट, व्यायाम की कमी मुख्य कारण हैं कब्जी के। इसके अलावा उस समय को टाल देना जब शरीर को फ्रेश होने की हरारत हो, नींद की कमी, मानसिक तनाव, दवाओं का सेवन आदि भी इसको उत्पन्न करती हैं. इस सब के अलावा  आंतो की, व  अन्य बीमारियों में भी कब्ज के लक्षण पैदा होते हैं।  
समस्या क्या है इससे ??
   कब्ज से दिन भर काम में मन न लगना, चीड़ चिड़ा  पण , पेट फूलना, पेट का भारीपन, भूख न लगना, व दिन भर गैस पास होते रहना जैसी शिकायत रहती है।  गैस से जहां एक ओर वातावरण में बदबू फैलती है तो दूसरा जो आवाज होती है उससे व्यक्ति को स्वयं को तो शर्मिंदगी महसूस होती ही है आस पास बैठे संगी-साथियों को भी  इससे परेशानी होती है।  यानी ये छोटी सी लगने वाली "कब्जी" जन्मदाता  है - अनेक निजी, शारीरिक, सामाजिक, पारिवारिक और मानसिक समस्याओं की। 
इलाज़ क्या है?
नियमित कसरत करना, हरी सब्जी, सलाद  (गाजर, मूली, खीरा, ककड़ी आदि) व फलों का सेवन, बिना छाना आटा, छिलके की दाल का सेवन करना लाभदायक होता है। मिठाई, कचोरी, समोसा, नमकीन, चिकनाई , आदि से परहेज करना चाहिए।
दवाइयाँ क्या लें??
बिना चिकितसक की सलाह के इनका सेवन करना, ख़तरा मोल लेना है।  बाजार में उपलब्ध हर दवा के फायदे और नुक्सान के बारे में विस्तार से चर्चा के बाद नतीजा ये निकला की हर मरीज को एक दवा से ठीक नहीं किया जा सकता व हर एक की कब्ज का कारण भी एक नहीं हो सकता।  एक दवा लेक्टूलोज़ जो २००० से २०१३ तक प्रचलन में थी, अब आउट डेटेड हो गई है।  उसकी जगह पेग नामक साल्ट ज्यादा सुरक्षित पाया गया है।  इसी तरह मर्जी से ली गयी laxatives जैसे  की Dulcolax आदि का सेवन करना भी घातक हो सकता है। 

अंत में प्रश्न उत्तर काल के बाद सभा का समापन हुआ जिसके पूर्व  इंडियन मेडिकल असोसिएशन, राजस्थान इकाई के वाइस प्रेजिडेंट डॉ जवाहर लाल गार्गिया ने उपस्थित मेंबर्स से अनुरोध किया की उनकी  नजर में जो भी डॉक्टर  अब तक IMA के मेंबर नहीं बने हैं उन्हें जोड़ने हेतु प्रेरित किया जाए व फ्रटर्निटी को और अधिक मज़बूत बनाया जाये।
एक दिन में तीन तीन कार्य शालाएं ??? उचित है या अनुचित????
आज ही के दिन होटल दाता - इन में हो रही ओर्थपेडीक कांफ्रेंस तथा मेरवाड़ा पैलेस में हो रही गायनेकोलॉजिस्ट कांफ्रेंस भी खासा चर्चा का विषय रहा। जिस वजह से आज की मीटिंग में इक्की दुक्की महिला चिकित्सक ही उपस्थित थीं।  सभी की एक राय रही की अलग अलग विशेषज्ञों की कार्य शालाएं ज़रूरी हैं मगर IMA की कार्य शालाओं को नजरअंदाज करना गलत है।
डॉ,अशोक मित्तल, https://www.blogger.com/blogger.g/ashokmittal medical  journalist
०९/०१/२०१६





No comments:

Post a Comment