Thursday, January 21, 2016

सावधान! भाग-3अ: जीवन दायी औषधियां आपको मौत के मुंह में ले जा सकती हैं, फिर न मिलेगी मौत और न बचेगा जीने लायक जीवन!!

सावधान! भाग-3अ:  जीवन दायी औषधियां आपको मौत के मुंह में ले जा सकती हैं, फिर न मिलेगी मौत और न बचेगा जीने लायक जीवन!!
वैसे तो हर दवा का कुछ न कुछ रिएक्शन होने की संभावना होती है. और हर दवा से हो सकने वाले साइड इफेक्ट्स की जानकारी मरीज को दे पाना डॉक्टर के लिए संभव नहीं है. फिर भी कुछ औषधियां ऐसी है जिनके सेवन में अत्यधिक सावधानी बरतना आवश्यक है. उन्ही में से एक है कोर्टिको-स्टेरोइड्स जिन्हें शोर्ट में स्टेरोइड्स कहा जाता है. इन्हें बहुत ही ख़ास बीमारियों में और जिंदगी जब खतरे में हो – ऐसी परिस्थिति में दिया जाता है.
क्या हैं स्टेरोइड्स?
ये एक प्रकार के हारमोन हैं जो हमारे एड्रीनल कोर्टेक्स में बनते हैं. इनके सिंथेटिक प्रारूप प्रयोगशाला में रिसर्च के बाद तैयार किये जाते है. ये हमारे शरीर में समय समय पर होने वाले तनाव (Stress), रोग प्रतिरोधक क्षमता को स्थिर रखने, शरीर में पानी का लेवल व सोडियम-पोटेशियम का कंट्रोल करने, कर्बोहाईड्रेट व प्रोटीन से ऊर्जा का उत्पादन व संचय करने आदि का कार्य करते हैं.
इतिहास: बहुत ही रोचक है.
वर्ष १९४४ में फिज़ोलोजी के प्रोफ़ेसर डॉ. रीचस्तीन सहित एडवर्ड व फिलिप को स्टेरॉयड की खोज करने पर नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया था. मर्क एंड कंपनी (Merck) ने सर्व प्रथम इसका सिंथेटिक प्रारूप तैयार किया था जो बैल के पित्त से (जो गाल ब्लेडर में होता है) निर्मित किया गया था. लेकिन कंपनी को इसका उत्पादन इतना महँगा पड़ता था कि १९४५-४६ में १ ग्राम की कीमत २०० डॉलर आती थी. बाद में कई वर्षो की अथक शोध से अब ये पूरे विश्व में हर केमिस्ट पर उपलब्ध है. कीमत भी २०० से ६ डॉलर और फिर चौथाई डॉलर प्रति ग्राम तक नीचे आ गयी.
किस रूप में मिलती हैं?
इंजेक्शन, गोली, ड्रॉप्स, नाक व मुंह द्वारा श्वास से अन्दर लेने हेतु पम्प आदि विभिन्न रूप में उपलब्ध है.
इसके अलग अलग सिंथेटिक प्रारूप इस प्रकार तैयार किये जाते हैं की शरीर में जाकर कोई एक प्रारूप किसी एक विशेष क्रिया को तो दूसरा प्रारूप अन्य क्रिया को निशाना बनाता है.
स्टेरोइड्स का उपयोग कब किया जाता है? (Indications):
अल्सरेटिव कोलाइटिस, एलार्रजी रीएकशंस, सारकोईडसिस, SLE, दमा, के अलावा आई ड्राप, त्वचा पर लगाने की मल्लम चमड़ी की बीमारियों आदि में काम में आती है. 
 (arthritis), temporal arteritis,dermatitis, allergic reactions, asthma, hepatitis, systemic lupus erythematosus, inflammatory bowel disease(ulcerative colitis and Crohn's disease), sarcoidosis and for glucocorticoid replacement in Addison's disease or other forms of adrenal insufficiency.[2] Topical formulations are also available for the skin, eyes (uveitis), lungs (asthma), nose (rhinitis), and bowels. Corticosteroids are also used supportively to prevent nausea, often in combination with 5-HT3 antagonists (e.g. ondansetron).
इनसे होने वाले दुष्परिणाम, इनके सेवन के समय बरती जाने वाली सावधानी आदि अब अगले ब्लॉग में.

डॉ.अशोक मित्तल 20 जनवरी, 2016.    

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