Saturday, January 16, 2016

आज शाम १६ जनवरी को कीचड का तालाब बना हुआ था एल.आई.सी-वैशाली नगर तिराहा. कीचड भरे तिराहे से गुजरना पडा वाहनों को, पैदल यात्री तो उपाय ही ढूंढते रहे – बेचारे !!!!

आज शाम १६ जनवरी को कीचड का तालाब बना हुआ था एल.आई.सी-वैशाली नगर तिराहा.
कीचड भरे तिराहे से गुजरना पडा वाहनों को, पैदल यात्री तो उपाय ही ढूंढते रहे – बेचारे !!!!
शाम को जहाँ एक ओर वाहन चालकों ने तमीज का परिचय देते हुए अपने वाहन धीमी गति से होटल मानसिंह के सामने कीचड भरी सड़क से निकाले वहीँ दूसरी ओर पैदल चलने वाले नागरिकों के लिए तो कोई तरिका नहीं था की वे वहां से सही सलामत अपने गंतव्य तक पहुँच जाएँ. मुझे ७ बजे अपने एक पत्रकार मित्र की माँ को आकस्मिक व असहनीय दर्द से मुक्ति दिलाने फ्रेजर रोड की तरफ जाना था. करीब ३००- ३५० मीटर तक पानी और कीचड की वजह से धीरे धीरे वहां लुडक रहा था, पीछे से आने वाले वाहनो से दर लग रहा था की कहीं तेजी से गन्दगी उछालते हुए बाँई ओर से यदि निकलेंगे तो मेरे अलावा कई और यात्री भी उस गन्दगी में धुल मिल जायेंगे, पर सोभाग्यवाश ऐसी दुर्दशा नहीं हुई.
जिज्ञासा वश मैंने एक स्थानीय निवासी से पूंछा “भाईसाहेब, कया क्या पाइप वाइप टू ट गया लगता है??” तो उसका जवाब था “पाइप तो नहीं टूटा है जी ये तो मेरे अजमेर का करम ही फूटा है”
वास्तव में इस पीड़ा में सच्चाई है. आये दिन नल फट जाते है, पाइप लाइन टूट जाती हैं, नालियां अवरुध्ध हो जाती है, सड़कें जाम होती रहती है, वहां टकराते रहते हैं, लोगों की हड्डियाँ टूटती रहती हैं, लेकिन हमारा शहर बहुत सहनशील है. लोग पड़े लिखे हैं, संस्कारी हैं, कभी विरोध नहीं करते.
स्मार्ट शहर की घोषणा के बाद से तो सपनों में भी स्वयं को को ही स्मार्ट नहीं  बल्कि शहर को भी स्मार्ट मान चुके हैं.
अरे भाई. जब स्मार्ट-स्मार्ट की इस रंग लीला में ही बह गए हो तो अब इस रंग-लीला के कीचड के रंगों  में ही जीवन गुजारना शायद नीयति है शहर वासियों, ये जानलो.
डॉ. अशोक मित्तल १६-०१-१६

No comments:

Post a Comment