Friday, January 8, 2016

अलग-अलग छोटे-छोटे कुनबों से निकलकर, एक छत के नीचे कब आएंगे सारे चिकित्सक ???

अलग-अलग छोटे-छोटे  कुनबों से निकलकर, एक छत के नीचे कब आएंगे सारे चिकित्सक ???

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की कल शाम 8 बजे होटल मानसिंह में एक गोष्ठी होने जा रही है. ऐसी गोष्ठियां चिकित्सकों को नवीनतम जानकारियाँ उपलब्ध कराती हैं, जिनमे नामी गिरामी विशेषज्ञों की वार्ताएं होती है व अंत में प्रश्नोत्तर काल में डॉक्टरस अपनी जिज्ञासा भी शांत करते हैं. साथ ही आपस में मेलजोल भी बना रहता है.
लेकिन दुर्भाग्यवश छोटे छोटे एसोसिएशन बना कर इन्होने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का कृत्य किया है. कल के दिन ही होटल दाता-इन में अजमेर ओर्थपेडीक फोरम ने भी जयपुर के डॉक्टर्स की एक वार्ता रख दी है. ये फोरम न तो रजिस्टर्ड है और न ही इसकी कोई बुलंद सामूहिक आवाज़ है. हालांकि हर विशेषज्ञों की अपने विषय में वार्ताएं होना और अपडेट होना आवश्यक है लेकिन पैरेंट बॉडी IMA (Indian Medical Association) को नज़र अंदाज़ करना कहाँ की समझदारी है ??
ये बात सर्व विदित है की IMA एक राष्ट्रिय  स्तर पर ही नहीं अपितु अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारत का  सर्वोच्च मान्यता प्राप्त चिकित्सा संगठन है. जो मेडिकल से सम्बंधित मुद्दों को पुर जोर तरीके से सरकार के सामने रखता है.  
आई.एम्.ऐ., अजमेर इकाई को सभी चिकित्सकों को इसमें जोड़ने का भरपूर प्रयास करना चाहिए. अन्य सुपर या सब स्पेशलिटी संगठनों को भी आई.एम्.ऐ, अजमेर इकाई से बात चीत के पश्चात ही कोई वार्ता आयोजित करनी चाहिए  तथा उनके प्रेसिडेंट व सचिव को इनमें भी आमंत्रित करना चाहिए.
IMA के निवर्तमान प्रेसिडेंट डॉ प्रोफ़ेसर मार्थंडे हैं जो की दक्षिण के नामी न्यूरो सर्जन हैं. व वर्तमान में जयपुर के डॉ अग्रवाल हैं जो नामी फिजिशियन हैं. याने की सुपर स्पेशलिस्ट होकर भी मेम्बर बनना व प्रेसिडेंट जैसी जिम्मेदारी संभालना. ये उदाहरण उन लोगों के लिए मार्ग दर्शक स्वरुप हैं जो स्वयं को स्पेशलिस्ट या सुपर समझ कर इससे ना जुडने की भूल कर बैठे हैं.
अभी हाल ही पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल में जो हंगामा व डॉ पोखरना के साथ जो बदतमीज़ी हुई उस को शायद सब चिकित्सक भूल गए हैं. अभी भी इन घटनाओं से सबक लेकर यदि सब एक छत के नीचे आजायें तो संगठित होकर इन असामाजिक तत्वों व डॉक्टरों के प्रति अमानवीय व्यवहार का मुकाबला किया जा सकता है, वरना अपनी-अपनी खिचड़ी तो अब तक सभी डॉक्टर पकाते ही आ रहे हैं. यदि सबको एक होना है तो उस  छत का नाम IMA है, जिसके नीचे बैठ कर ही आप अपना और अपने शिशु चिकित्सकों का भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं. डॉ. अशोक मित्तल!

०८ जनवरी २०१५, शुक्रवार! 

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