Sunday, March 20, 2016

दक्षिणी ध्रुव के मध्य से प्रकाश की किरणें जिस मंदिर के शिखर के केंद्र बिन्दु तक अबाधित पहुंचती हैं वो है सृष्टि का प्रथम ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ !!

दक्षिणी ध्रुव के मध्य से  प्रकाश की किरणें  जिस मंदिर के शिखर के केंद्र बिन्दु तक अबाधित पहुंचती हैं वो है सृष्टि का प्रथम ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ !!
29 जनवरी को प्रातः 6 बजे सोमनाथ स्टेशन पहुँच कर झटपट तैयार होकर एक ऑटो रिक्शा में लोकल भ्रमण हेतु चल दिए.
सोमनाथ मंदिर का बाह्य परिसर साफ़ सुथरा और सुन्दर एक विशाल मैदान जैसा है जो पुष्कर के मेला ग्राउंड से करीब चार गुना बड़ा है. प्रति वर्ष शिव रात्री, सूर्य ग्रहण, श्रावन पूर्णिमा पर भारी मेला लगता है जिसमे आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ये परिसर अनुकूल है. मंदिर के दो तरफ समुद्री लहरों के थपेड़े हैं, तीसरी तरफ पुराना सोमनाथ मंदिर है.

सुरक्षा व्यवस्ता सख्त हैमोबाइल फोनकेमरापर्स आदि सब बाहर एक लोकर में जमा करा कर एक अन्य बहुत बड़े काउंटर पर अपने जूते चप्पल जमा कराने के बाद फिर से सिक्यूरिटी चेक से गुजर कर जब भीतरी परिसर में पहुंचे तो वहाँ की सुन्दरता और सौम्यता ने ह्रदय को छू लिया. लाइट एंड साउंड शो तकनीकी खराबी के चलते बंद था. चारों ओर सुन्दर बगीचे के मध्य मंदिर की बाहरी व अंदरूनी वास्तुकला बहुत ही खूबसूरत है. महिलाओं को इस बात का सकून था की टॉयलेट्स स्वच्छ थे.. प्राचीन काल में कई बार इस मंदिर को लूटा गया और तोड़ा गया. पुराने मंदिर के अवशेष व फोटो की एक हाल में प्रदर्शिनी लगी हुई है. जिन्हे देख कर मन काफी व्यथित हुआ. आजादी के बाद इसका पुनर्निर्माण सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में किया गया और 1951  में इसे देशवासियों को समर्पित किया गया.




विश्व के प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ का ऋग्वेदस्कन्द पूराण और महाभारत में वर्णन है. इसकी ऊंचाई सात फूट, घेरा तीन हाथ का और ज़मींन में दो हाथ गडा हुआ है. शिवलिंग की भोगोलिक स्थिति ऐसी है की इसके शिखर के मध्य बिंदु से प्रकाश की किरणें सीधे दक्षिण ध्रुव की धुरी तक अबाधित जाती हैं. पूजा के वक़्त ब्राह्मणों को बुलाने के लिए जो घंटा बजाया जाता है वो दो सौ मन का है.
भाल्का तीर्थ  
श्री कृष्ण की पगतली में जिस स्थान पर तीर लगा उसे भाल्का तीर्थ कहते  हैं. गुजरात के प्रभास-पाटन क्षेत्र में स्थित यह सोमनाथ से की.मी. दूरी पर है. गुजराती में भालका का मतलब है बाण याने तीर. 5500 वर्ष पश्चात भी वो पीपल का वृक्ष भाल्का तीढ़ में मौजूद है  जिसके नीचे योग समाधि में बैठे श्री कृष्ण का बांया चरण कमल किसी शिकारी ने एक अति सुन्दर मृग का मुख समझ कर भालका (बाण) चला दिया. तत्पश्चात अपनी भूल का पश्चाताप भी करने लगा और श्री कृष्णा से क्षमा याचना मांगने लगा. तब कृष्ण ने उसे आश्वासन दिया की ये सब तो उन्ही की इच्छा से हुआ है.


निज धाम 
निज धाम सोमनाथ मंदिर के 3 - 4 कि.मी. के दायरे में है. तीर लगने के बाद श्री कृष्ण अपने निज़धाम आ गए और अपनी योग शक्ति से सृष्टि में लीन हो गए. इस निजधाम में माता रुक्मणी की चूड़ियाँलड्डू गोपाल की सुन्दर मूर्तीपालना व अन्य वस्तुएं  रखी हुई हैं. मेरे साथ एक बिल्ली भी वहां आकर बैठ  गयी और मेरी ही तरह इन सब चीजों को ऐसे निहारने लगी जैसे वो मेरी कोई साथी हो. उसने फोटो भी प्यार से खिंचवाया. बाहर श्री कृष्णा के चरण पादुका एक गोल व सुन्दर छतरी में बीचों बीच स्थापित हैं. इनके दर्शन करके ऐसे एहसास हुआ जैसे हमारी यात्रा यहां आये बिना अपूर्ण थी. डॉ. शशि तो श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा में ही पैदा हुई और बचपन में रोज़ वहाँ दर्शन को जाती थी. तो इन सब बातों और वहां के स्पंदनों को महसूस करते हुए हमारी आँखें  भीग गईं. जिनका क्या कारण रहामन की किस दशा के वे सूचक थे इसका वर्णन करने के लिए मेरे पास कोई उचित स्पष्टी करण व शब्द नहीं हैं. लेकिन इस शाश्वत सत्य का ज़रूर स्मरण हुआ की जब स्रष्टि के रचयता को ही शरीर त्याग कर इस संसार से जाना पड़ा तो हम सब को भी जब कभी बुलावा आयेगा तो जाना ही होगा.







सूर्य मंदिर, पांडव गुफा व हिंगलाज माता मंदिर 
सूर्या मंदिर के बाजू में ही पांडव गुफा है जो इतनी संकरी है की में बहुत मुश्किल से करीब दौ मंजिल उतरकर  नीचे  पहुंचा जहाँ एक बड़े हाल में दूसरा छोटा हाल है. ऑक्सीजन की कमी से घुटन महसूस होने से मुझे उलटे पाँव लौट आना पड़ा. कहते यहाँ पांडव अपनी कुल देवी हिन्लाज़ माता की कृपा से ही सुरक्षित रह पाए थे. बाहर ही माता का स्थान है.
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Dr. Ashok Mittal, मेडिकल जर्नलिस्ट, drashokmittal.blogspot.in, facebook: ashok.mittal.37


2 comments:

  1. आपने अपनी अविस्मरणीय यात्रा का वर्णन बहुत ही खूबसूरत शब्दों मे किया है।अपने यादगार पलों को इतनी खूबसूरती से कैमरे में कैद करना।प्रकृति के प्राकृतिक दृश्य,उड़ते हुए परिंदे बोट का नजारा,सभी धार्मिक धामो का वर्णन,सभी मन को लुभाने वाले नज़ारे बहुत ही खूबसूरती से कैमरे मैं अपनी यादो का पिटारा कैद किया है।वो बिल्ली का इतने ध्यान से मंदिर के प्रांगण मैं बैठकर भगवान के दर्शन करना।मन को लुभाता है।सब कुछ बहुत की खूसूरत वर्णन।

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  2. आपने अपनी अविस्मरणीय यात्रा का वर्णन बहुत ही खूबसूरत शब्दों मे किया है।अपने यादगार पलों को इतनी खूबसूरती से कैमरे में कैद करना।प्रकृति के प्राकृतिक दृश्य,उड़ते हुए परिंदे बोट का नजारा,सभी धार्मिक धामो का वर्णन,सभी मन को लुभाने वाले नज़ारे बहुत ही खूबसूरती से कैमरे मैं अपनी यादो का पिटारा कैद किया है।वो बिल्ली का इतने ध्यान से मंदिर के प्रांगण मैं बैठकर भगवान के दर्शन करना।मन को लुभाता है।सब कुछ बहुत की खूसूरत वर्णन।

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