Friday, April 8, 2016

उधर मोदी जी अमेरिका और जापान जा कर अपनी नई ओबामा डार्लिंग और बान की मून डार्लिंग में से किसे ज्यादा खुश रखें, इस चक्कर में अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाना भूल बैठे. शकुन्तला को तो दिया दुर्वासा मुनि ने श्राप : स्मार्ट सिटी अजमेर को किसकी लगी नज़र??

उधर मोदी जी अमेरिका और जापान जा कर अपनी नई ओबामा डार्लिंग और बान की मून डार्लिंग में से किसे ज्यादा खुश रखें, इस चक्कर में अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाना भूल बैठे.
शकुन्तला को तो दिया दुर्वासा मुनि ने श्राप : स्मार्ट सिटी अजमेर को किसकी लगी नज़र??
०८ अप्रेल को जवाहर रंग मंच, अजमेर में काली दास रचित महान कृति अभिज्ञान शकुंतलमको लघु नाटिका के रूप में पेश किया गया. जिसे सात बजे शुरू कर, सही आठ बजकर बीस मिनट पर समाप्त किया गया.
रंगमंच के बाहरी व भीतरी परीद्रश्य को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे इनडोर स्टेडियम के बजाय किसी आउट डोर र्रिजोर्ट में पहुँच गए हों, जहां हर तरफ हरियाली ही हरियाली नज़र आ रही थी. सजावट वाकई इतनी खूबसूरत की हर कोई कह रहा था - वाह!!
नृत्य व संवाद के माध्यम से प्रस्तुत इस लघु नाटिका में कलाकारों का अभिनय, भाव भंगिमा, मंच सज्जा और इन सबके साथ  लाईट व साउंड  मैनेजमेंट बहुत ही प्राकर्तिक व ख़ूबसूरत अनुभूति प्रदान कर रहा था.
दुर्वासा मुनि ने जब शकुंतला को श्राप दिया कि तुम जिसके ख्यालों में डूबी हो वो तुम्हे भूल जाएगा, तो लगा ये शकुन्तला तो शायद अजमेर ही है जिसे किसी दुर्वासा की नज़र का कोप भाजन होना पडा है तभी तो मोदी राजा की स्मृति से ये विलुप्त हो गयी है, वरना मोदी जी ऐसे तो न थे. वे तो वादे के बड़े पक्के दिख रहे थे तभी तो अजमेर की भोली भली जनता उनके मोह जाल में फंस कर काली दास की शकुन्तला की तरह सपने देखने लगी - स्मार्ट शहर बनने के. उधर मोदी जी अमेरिका और जापान जा कर अपनी नई ओबामा डार्लिंग और बान की मून डार्लिंग में से किसे ज्यादा खुश रखें, इस चक्कर में अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाना भूल बैठे.
मेयर व एडीए चेयरमैन की उपस्थिति में इन्डियन लेडीज़ क्लब ने इस कार्यक्रम में मनोरजन के साथ साथ क्लीन सिटी - ग्रीन सिटी का इसी थीम पर वहाँ की गयी सजावट से जो सन्देश दिया वो मन को छू लेने वाला था. इसे यदि यथार्थ में यहाँ के जन नायक व नागरिक चरितार्थ में लाने का प्रयास करें तो हो सकता है, मोदी जी को लगे उस श्राप का असर खत्म हो जावे और उनकी स्मृति में वो भूली दास्ताँ फिर लौट आये जब उन्होंने अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की थी.
इस मार्मिक प्रेम कथा में नारद मुनि से लेकर नन्हे बालक भरत सहित सभी कलाकारों के प्री रिकार्डेड डाय्लोग व कर्ण प्रिय पार्श्व संगीत ने इस पेशकश में चार चाँद लगा दिए. कलाकारों की वेश भूषा व क्लब की सदस्याओं का स्रजनात्मक व सामुहिक प्रयास अत्यंत सराहनीय रहा. 
उम्मीद है की किसी दिन कोई जापानी या अमरीकी मछुआरन किसी शार्क मच्छी के पेट से निकली वो चिप लाकर मोदी जी को सुनाएगी जिसमे अजमेर को स्मार्ट बनाने की प्रस्तावना की थी उन्होंने.

डॉ.अशोक मित्तल, मेडिकल जर्नलिस्ट, drashokmittal.blogspot.in

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