सावधान! भाग (४)
जीवन दायी औषधियां आपको मौत के मुंह में ले जा सकती हैं, फिर न मिलेगी मौत और न
बचेगा जीने लायक जीवन!!
औषधि वितरण और कन्ट्रोल से जुड़े जानकारों का क्या कहना है? आइये जानते
हैं.
5
असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर श्री ईश्वर सिंह यादव
ने बताया की जितनी भी शीड्युल-एच श्रेणी की औषधीयाँ हैं उन्हें सिर्फ डॉक्टर की
हस्ताक्षर व तारिख डली पर्ची पर ही दिया जा सकता है. बिना पर्ची के इन्हें इश्यु
करना कानून के विरूद्ध है. बिना बिल इनकी खरीद और बिक्री कानूनन जुर्म है. अभी हाल
ही में उनके विभाग द्वारा की गयी छापामार कार्यवाही में बिना बिल के पकड़ी गयी नींद
की गोलियों वाले काण्ड का भी उन्होंने हवाला दिया..
6
दवाओं के एक होलसेल विक्रेता ने नाम न उजागर
करने की शर्त पर बताया की उनको तो सिर्फ मेडिकल स्टोर वालों को उनके ड्रग लाइसेंस
नंबर पर या डॉक्टर्स को उनके मेडिकल काऊंसिल के रजिस्ट्रेशन नंबर पर दवाएं इशू
करनी होती है. वे इन औषधियों को वाउचर बना कर एवं बिल रेज़ करके ही देते हैं, तथा
खुदरा रूप में नहीं बल्कि हमेशा होलसेल पेक में ही बेचते हैं. बिना बिल के वे कभी
भी कोई दवा न तो देते हैं, और न ही वे
किसी से बिना बिल के खरीदते हैं.
धीमी आवाज में ये भी कहा की हालांकि कई दवाओं में बहुत कम मुनाफा होता है.
जबकि ऐसी कई दवाएं यदि बिना बिल के खरीदी जाएँ और बिना बिल के ही ग्राहक को बेच दी
जावें तो कई गुना मुनाफा भी और ड्रग निरिक्षण में फंसने का भी प्रूफ नहीं होता,
क्योंकि रिकॉर्ड ही नहीं होता है. लेकिन एसा कभी नहीं करना चाहिए.
क्या आपकी जानकारी में कोई दवा विक्रेता है जो ऐसा
अपराध करता है?? ये पूछने पर वे खामोश हो गए.
अन्य डॉक्टर्स क्या कहते हैं स्टेरॉयड के बारे
में??
7
प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे डॉ. विजय कालरा
ने बताया की स्टेरॉयड के हानिकारक परिणामों की वजह से वे अपनी प्रेक्टिस में कभी
भी इनका दुरूपयोग नहीं करते हालांकि इनके राम बाण रुपी असर का गलत फायदा उठाकर कुछ
नीम हाकिम इनकी पुडिया या पाउडर बना कर दे देते हैं.
8
प्रसिद्ध नेत्र विशेषग्य डॉ.नीरज खूंगर ने
बताया की डेक्सामीथासोन व बीटामीथासोन के आँखों में उपयोग करने वाले मरीज कम उम्र में ही काला पानी व
मोतियाबिंद की शिकायत से अंधेपन का शिकार होकर कभी कभी उनके पास आते रहते हैं. आँखे
आना, पानी बहना, आँखें लाल होना एक साधारण रोज़ मर्रा की बिमारी में स्टेरॉयड
ड्रॉप्स का डालना अंधेपन को बेवजह आमंत्रित करना है.
उन्होंने कहा की जहाँ वास्तव में ज़रुरत हो, सिर्फ
वहीं इनका उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहिए व हर कोर्स के बाद टेपर-ऑफ कर
देना चाहिए.
9
जे.एल.एन. मेडिकल कॉलेज के सीनीयर स्पेशलिस्ट डॉ.
माधव गोपाल अग्रवाल ने स्टेरॉयड से हड्डियों का गल जाना, कुशिंग-सिंड्रोम से
मुंह व कूल्हों की सूजन, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होना आदि इफेक्ट्स पर चिंता
जताते हुए अपील की है की इनका न्यायपूर्ण व उचित उपयोग करना चाहिए. हाँ आपातकालीन स्थिति
में ये औषधी राम बाण साबित होती है व चरम रोगों एवम् दमा में भी इनका सेवन कारगर व
न्यायोचित है.
अभी कुछ और स्पेशलिस्टों की राय के अलावा अन्य महत्वपूर्ण जानकारी शेष
है. मैं उन सबके साथ फिर आपकी सेवा में उपस्थित होता हूँ.
डॉ.अशोक मित्तल, २४ जनवरी २०१६, Medical Journalist
“Dr. Ashok Mittal” < mittal.dr@gmail.com>
No comments:
Post a Comment