03-02-2015 स्वाइन फ्लू
“हाई अलर्ट” या “हाई प्रोफाइल अलर्ट” ??
स्वाइन फ्लू का आज से राजस्थान सरकार ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है। सवाल ये है की आज अचानक ये हाई अलर्ट क्यों? चर्चा
है की तीन दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री और अब राज्य के गृह मंत्री स्वाइन फ्लू पॉजिटिव पाये गए है। आम जनता को इस हाई अलर्ट से क्या स्वाइन फ्लू नहीं होने की या हो जाये तो इन हाई प्रोफाइल लोगों की तरह तुरंत टेस्ट और इलाज़ की गारंटी मिल जाएगी? कदापि
नहीं। सीमित स्वाइन फ्लू टेस्ट के साधन, डॉक्टरों
की वही सीमित
संख्या, टेमीफ्लू दवा की कमी, और
ऊपर से वाइरस का म्यूटेशन, कुल
मिला कर काफी चिंता जनक स्थिति है स्वस्थ्य सेवाओं की।
गरीब आदमी मर्ज़ी से टेस्ट कराये तो 500 कहाँ से लाये? डॉक्टर यदि उसका टेस्ट नहीं करे और बाद में स्वाइन पॉजिटिव निकल जाये तो ये निश्चित है की डॉ. साहब कहाँ जायेंगे?
हाई अलर्ट का
मतलब शायद सरकार
के मायनो में
सिर्फ इसे जारी
करना हो या
हाई प्रोफाइल व्यक्तियों पर
तुरंत ध्यान देने
का इशारा हो।
लेकिन मेडिकल पॉइंट
ऑफ़ व्यू से
एक युद्ध जैसी
स्थिति से निपटने
से भी बेहतर तैयारी का मतलब ही हाई अलर्ट है।
ऐसी विज्ञप्ति जारी करके, बच्चों की प्रार्थना सभा बंद करके और डॉक्टरों की छुट्टियों की छुट्टी करके सरकारी अफसरों और नेताओं ने जहाँ एक ओर अपनी गर्दन की सेफटी कर ली है वहीँ डॉक्टरों की गर्दन पर तलवार लकटा दी है। यानी कि अब यदि कोई हादसा हुआ तो सारा ठीकरा डॉक्टरों के माथे पर। फिर कोई न कोई या तो ससपेंड या फिर जेल में।
2015 में अब तक 259 स्वाइन पॉजिटिव आये जिनमे से 52 की दुर्भाग्यवश मौत हो चुकी है करीब 20 % की मृत्युदर से।
ऐसी विज्ञप्ति जारी करके, बच्चों की प्रार्थना सभा बंद करके और डॉक्टरों की छुट्टियों की छुट्टी करके सरकारी अफसरों और नेताओं ने जहाँ एक ओर अपनी गर्दन की सेफटी कर ली है वहीँ डॉक्टरों की गर्दन पर तलवार लकटा दी है। यानी कि अब यदि कोई हादसा हुआ तो सारा ठीकरा डॉक्टरों के माथे पर। फिर कोई न कोई या तो ससपेंड या फिर जेल में।
2015 में अब तक 259 स्वाइन पॉजिटिव आये जिनमे से 52 की दुर्भाग्यवश मौत हो चुकी है करीब 20 % की मृत्युदर से।
टेस्ट की रिपोर्ट 12 घंटे
में देने के
फरमान का स्वागत
है। पिछले सीजन में
तो मरणोपरांत सात - सात
दिन बाद रिपोर्ट आती
थी।
स्कूलों में प्रार्थना सभा
बंद किये जाने
का भी स्वागत
है। लेकिन रेलवे
स्टेशनों, बस स्टैंडों, न्यायालयों, बिल
जमा करने हेतु
व् अस्पतालों में
मरीजों की लम्बी लम्बी
कतारें चाहे डॉक्टर
को दिखाने को
हो या फिर
मुफ्त दवा लेने
को हो - यहां
एकत्रित भीड़ में से
हर कोई अपने
जल्दी नंबर आने
की प्रार्थना करता
रहता है और
ख़ैर मनाता रहता है
की कहीं उसे
भी भेंट स्वरुप
लाइन में लगा
कोई व्यक्ति स्वाइन
फ्लू का वायरस
न देदे। इनकी प्रार्थनाओं पर
भी सरकार को
गौर करने की
आवश्यकता है। (क्रमशः) डॉ. अशोक
मित्तल.
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