सावधान! भाग 8 “जीवन
दायी औषधियां आपको मौत के मुंह में ले जा सकती हैं, फिर न मिलेगी मौत और न बचेगा
जीने लायक जीवन”!!
स्टेरॉयड के दिन प्रतिदिन बड़ते जा रहे बेतरतीब उपयोग पर डॉ. कपिल
शर्मा जो पुष्कर रोड स्थित मित्तल अस्पताल में गेस्ट्रोएंटेरोलोजिस्ट है, ने भी चिंता
जताते हुए अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की जिसमें उन्होंने बताया की इस औषधी को या तो
कुछ असाध्य रोगों में शोर्ट कोर्स के रूप में काम में लिया जाता है या फिर मरीज को
मौत के मुंह से वापस लाते समय. डॉ. कपिल ने इस से उत्पन्न होने वाले उन सभी खतरों
की भी बात की जिनके बारे में हम पिछले ब्लोग्स में बात कर चुके हैं.
याने कुल मिला कर हर कोई चिकित्सा विशेषग्य की स्तेरोइड्स के उपयोग
व खतरों के बाबत एक ही राय है, और पूरा मेडिकल वर्ग चिंतित भी है की मरीज पहले से
ही इनका सेवन हर छोटी छोटी बीमारी में कैसे कर लेता है?? तो फिर सवाल ये उठता है
की ऐसी दवा जो शीड्युल-एच में आती है, वो दवा लूज़ फॉर्म में १००-१०० के पैक में
क्यों उपलब्ध है. कौन सी कम्पनीयां इन्हें बनाती हैं बिना हर गोली को पत्ते याने
फॉयल में पैक किये बिना, इनका नाम अंकित किये बिना.जब हर गोली पर दवा का नाम अंकित
होना कानूनन अनिवार्य है तो फिर ये बिना नाम की गोलियां क्यों धड़ल्ले से मार्किट
में बिक रही हैं. इन्हें कोई भी नीम हाकिम कैसे हासिल कर लेते हैं, वो भी बिना
ड्रग लाइसेंस के. क्यों इन के खतरों से मरीज को अवगत नहीं कराया जाता? आगे के
ब्लॉग में हम सीनियर फिजिशियन डॉ. एस के अरोड़ा, रिटायर्ड प्रोफ़ेसर जे.एल.एन मेडिकल
द्वारा दिए गए कॉमेंट्स पर चर्चा करेंगे, उसके बाद ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट तथा
मैजिक रेमेडीज एक्ट/ जादुई औषधि नियम के बारे में भी चर्चा करेंगे जिनकी इस संधर्भ
में बहुत ही अहम् भूमिका है.
डॉ.अशोक mittal ०८-०२-२०१६ drashokmittal.blogger.in
No comments:
Post a Comment