Saturday, April 9, 2016

प्राइवेट अस्पतालों में तो लूट मची हुई है! ये धारणा हो जायेगी अब ख़त्म. आशा है कि भविष्य में मेरे देश व प्रदेश में हर अमीर एवं गरीब को एक जैसा इलाज़ मुहैया हो. कोई भी गरीब इलाज़ से वंचित न रहे क्यूंकि इंसान आखिर इंसान ही है गरीब हो या अमीर.

प्राइवेट अस्पतालों में तो लूट मची हुई है! ये धारणा हो जायेगी अब ख़त्म.
जो बड़े व कॉर्पोरेट अस्पताल अब तक गरीब की पहुँच से बाहर थे, उनमें भी अब राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी “भामाशाह योजना” के तहत फ्री इलाज़ शुरू हो गया है.
ऐसी एक पहल का लाभ मिला स्तन कैंसर से पीड़ित युवती भगवानी देवी को. जिसको ग्रेड-2 कैंसर के चलते शल्य क्रिया द्वारा सम्पूर्ण स्तन मय बगल की लिम्फ नोड की गिठानों को काट कर निकाल देने की राय दी गयी थी.
५ अप्रेल को ग्राम-सिरोही, नीम का थाना, जिला-सीकर निवासी भगवानी देवी पत्नी स्वर्गीय माली राम कस्वां को पुष्कर रोड स्थित घीसी बाई मित्तल अस्पताल में भरती किया गया जहाँ कैंसर सर्जन डॉ. प्रशांत शर्मा ने सफलता पूर्वक रेडिकल मस्टेक्टोमी नामक इस ऑपरेशन को अंजाम दिया.
मरीज के बेटे मुकेश ने फोन पर बातचीत में मुझे बताया की उसकी माँ अब पूर्णतया स्वस्थ है व उसका इलाज़ के दौरान एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ है.
भामाशाह योजना के तहत गरीबों का इलाज़ हो जाना एक सुखद बदलाव का सूचक है. वंचित वर्ग का इलाज़ और वो भी उन अस्पतालों में जिनकी भव्य इमारतों में गरीब आदमी का अन्दर जाना तो छोड़ उनकी और देखने से भी वो घबराता है.  ऐसे में इस अच्छी शुरुआत का बीड़ा उठाने हेतु डॉ. प्रशांत शर्मा, घी.बा.मेमोरियल मित्तल अस्पताल, भामाशाह योजना व राज्य सरकार के कदम को चहुँ ओर से सोशल मीडिया पर शुभकामना सन्देश आ रहे हैं.
आशा है कि भविष्य में मेरे देश व प्रदेश में हर अमीर एवं गरीब को एक जैसा इलाज़ मुहैया हो. कोई भी गरीब इलाज़ से वंचित न रहे क्यूंकि इंसान आखिर इंसान ही है गरीब हो या अमीर.
डॉ. अशोक मित्तल, मेडिकल जर्नलिस्ट, drashokmittal.blogspot.in

०९ अप्रेल, २०१६ 

Friday, April 8, 2016

उधर मोदी जी अमेरिका और जापान जा कर अपनी नई ओबामा डार्लिंग और बान की मून डार्लिंग में से किसे ज्यादा खुश रखें, इस चक्कर में अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाना भूल बैठे. शकुन्तला को तो दिया दुर्वासा मुनि ने श्राप : स्मार्ट सिटी अजमेर को किसकी लगी नज़र??

उधर मोदी जी अमेरिका और जापान जा कर अपनी नई ओबामा डार्लिंग और बान की मून डार्लिंग में से किसे ज्यादा खुश रखें, इस चक्कर में अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाना भूल बैठे.
शकुन्तला को तो दिया दुर्वासा मुनि ने श्राप : स्मार्ट सिटी अजमेर को किसकी लगी नज़र??
०८ अप्रेल को जवाहर रंग मंच, अजमेर में काली दास रचित महान कृति अभिज्ञान शकुंतलमको लघु नाटिका के रूप में पेश किया गया. जिसे सात बजे शुरू कर, सही आठ बजकर बीस मिनट पर समाप्त किया गया.
रंगमंच के बाहरी व भीतरी परीद्रश्य को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे इनडोर स्टेडियम के बजाय किसी आउट डोर र्रिजोर्ट में पहुँच गए हों, जहां हर तरफ हरियाली ही हरियाली नज़र आ रही थी. सजावट वाकई इतनी खूबसूरत की हर कोई कह रहा था - वाह!!
नृत्य व संवाद के माध्यम से प्रस्तुत इस लघु नाटिका में कलाकारों का अभिनय, भाव भंगिमा, मंच सज्जा और इन सबके साथ  लाईट व साउंड  मैनेजमेंट बहुत ही प्राकर्तिक व ख़ूबसूरत अनुभूति प्रदान कर रहा था.
दुर्वासा मुनि ने जब शकुंतला को श्राप दिया कि तुम जिसके ख्यालों में डूबी हो वो तुम्हे भूल जाएगा, तो लगा ये शकुन्तला तो शायद अजमेर ही है जिसे किसी दुर्वासा की नज़र का कोप भाजन होना पडा है तभी तो मोदी राजा की स्मृति से ये विलुप्त हो गयी है, वरना मोदी जी ऐसे तो न थे. वे तो वादे के बड़े पक्के दिख रहे थे तभी तो अजमेर की भोली भली जनता उनके मोह जाल में फंस कर काली दास की शकुन्तला की तरह सपने देखने लगी - स्मार्ट शहर बनने के. उधर मोदी जी अमेरिका और जापान जा कर अपनी नई ओबामा डार्लिंग और बान की मून डार्लिंग में से किसे ज्यादा खुश रखें, इस चक्कर में अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाना भूल बैठे.
मेयर व एडीए चेयरमैन की उपस्थिति में इन्डियन लेडीज़ क्लब ने इस कार्यक्रम में मनोरजन के साथ साथ क्लीन सिटी - ग्रीन सिटी का इसी थीम पर वहाँ की गयी सजावट से जो सन्देश दिया वो मन को छू लेने वाला था. इसे यदि यथार्थ में यहाँ के जन नायक व नागरिक चरितार्थ में लाने का प्रयास करें तो हो सकता है, मोदी जी को लगे उस श्राप का असर खत्म हो जावे और उनकी स्मृति में वो भूली दास्ताँ फिर लौट आये जब उन्होंने अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की थी.
इस मार्मिक प्रेम कथा में नारद मुनि से लेकर नन्हे बालक भरत सहित सभी कलाकारों के प्री रिकार्डेड डाय्लोग व कर्ण प्रिय पार्श्व संगीत ने इस पेशकश में चार चाँद लगा दिए. कलाकारों की वेश भूषा व क्लब की सदस्याओं का स्रजनात्मक व सामुहिक प्रयास अत्यंत सराहनीय रहा. 
उम्मीद है की किसी दिन कोई जापानी या अमरीकी मछुआरन किसी शार्क मच्छी के पेट से निकली वो चिप लाकर मोदी जी को सुनाएगी जिसमे अजमेर को स्मार्ट बनाने की प्रस्तावना की थी उन्होंने.

डॉ.अशोक मित्तल, मेडिकल जर्नलिस्ट, drashokmittal.blogspot.in

Saturday, March 26, 2016

डॉक्टर साब, बांयटा घणा आ व.. ! पिंडली में मांस पेशी के खिंचाव से भयंकर दर्द है !! रात के आखरी पहर में नस पे नस चड़ने से अचानक उठना पडा, दर्द से बुरा हाल है !!!

डॉक्टर साब, बांयटा घणा आ व.. !  पिंडली में मांस पेशी के खिंचाव से भयंकर दर्द है !! रात के आखरी पहर में नस पे नस चड़ने से अचानक उठना पडा, दर्द से बुरा हाल है !!!
इस तरह की पीड़ा लिए अक्सर पिंडली को कास कर पकडे या जांघ पर टाईट पट्टी बांधे हुए मरीज चिकित्सक के पास आते रहते हैं.


मेडिकल दृष्टि से तो Muscle Pull, Muscle Strain, Muscle Spasm, Muscle Cramps अलग होते हैं, पर आम भाषा में लोग इन अंग्रेजी नामों या ऊपर लिखे मारवाड़ी/हिंदी शब्दों से अपनी व्यथा का वर्णन करते हैं.
सबसे ज्यादा पिडली की या फिर जांघ की हेम स्ट्रिंग्स में मांस पेशियाँ में ये समस्या होती है. मांस पेशी की बनावट रबर बेंड की तरह लचिली होती है जिससे की इनकी लम्बाई छोटी व बड़ी होती रहती हैं, इस विशेषता की वजह से ये हमारे विभिन्न जोड़ों को मोड़ने और वापस सीधा करने के कार्य का सम्पादन करती हैं.. ऐसा करते वक़्त यदि बहुत ताकत से मांस पेशी खिंच कर छोटी हो जाय और वापस लम्बी नहीं होने पावे तो बान्यटा / Muscle Cramp की अती-पीड़ा दायनी स्थिति पैदा हो जाती है. 






कारण 
अंगड़ाई लेने के बाद ये समस्या ज्यादा होती है. वैसे तो अंगड़ाई लेने से शरीर को विश्राम का आभास होता है. लेकिन अंगडाई लेने में मांस पेशियाँ पूरी खिंच कर स्प्रिंग की तरह छोटी हो जाती हैं, और जब इन्हें वापस ढीला हो जाना चाहिए तो ये खिंची की खिंची ही रह जाती हैं.
 शरीर में पानी की कमी (Dehydration) भो एक प्रमुख कारण है. महान क्रिकेटर्स सौरभ गांगुली व सचिन तेंदुलकर की हेम स्ट्रिंग्स में ऐसा होते हमने कई बार देखा है.

अत्यधिक परिश्रम के बाद थकान (Fatigue), लू लगने से, कैल्शियम/ मेग्नीसियम/विटामिन-ई/ विटामिन-डी/ सोडियम/पोटेशियम आदि की कमी के अलावा और भी कई कारण हैं इस बिमारी के.
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Friday, March 25, 2016

नकसीर : नाक में बार बार उंगली डालना है ब्लीडिंग का मुख्य कारण
नाक से खून रिसना सामान्य तया घर घर में पाई जाने वाली साधारण समस्या है जो वैसे तो घरेलु उपचार से ही काबू में आ जाती है. लेकिन कभी कभार अत्यधिक खून बह जाने पर संकट कालीन स्थिति उत्पन्न कर देती है.
नाक में उंगली डाल कर साफ़ करना है नकसीर का मुख्य कारण
नाक में जमी चिकनाई जो हवा व गर्मी के असर से सूख कर सख्त हो जाती उसे बार बार ऊँगली डाल कर कुचरने से नाक तो एक बारगी साफ़ हो जाती है लेकिन उसकी अंदरूनी त्वचा जो मुलायम व नाज़ुक होती है वहन घाव हो जाते हैं, जिनमे वापस चिनाई इकठ्ठा हो कर सूखती रहती है. याने वो जगह एक तरह का छोटा खड्डा हो जाता है, जिसमे सूखा हुआ म्यूकस जब सिकुड़ने लगता है तो मन को ऊँगली डाल कर साफ़ करने को उकसाता है.
उंगली से नाक साफ़ करने से ऊँगली तो गन्दी होती ही है, आस पास भी गन्दगी फैलती है व देखने वालों को भी घिन्न आती है. बड़ों को ऐसा करते देख बच्चे भी यही विधि दोहराते हैं, जिनके नाक की अंदरूनी मेम्ब्रेन तो अत्यंत नाज़ुक होती है और उंगली के छूने मात्र से ही ब्लीडिंग शुरू कर देती है. 


वैसे तो नकसीर के अन्य कई कारण भी हैं जिन्हें समझना जन साधारण के लिए उपयोगी नहीं है फिर भी ब्लड प्रेशर व अन्य कारण से कभी कभी खून का रिसाव रोकना संभव नहीं होता है तो ऐसी स्थिति में तुरंत नजदीकी अस्पताल या चिकित्सक के चले जाना चाहिए.
उपाय
1.       नाक को हर २-३ घंटे में अन्दर से गीला करके सूखे म्यूकस को बाहर सिनक देना चाहिए, उंगली से तो कभी भी साफ़ नहीं करना चाहिए.
2.       ब्लीडिंग होने पर ठंडा पानी, बर्फ लगा कर कुछ क्षणों के लिए उस जगह को दबा कर रखना चाहिए.
3.       रूई को साफ़ पानी, सलाइन या एड्रेनैलिन में भिगो कर, निचोड़कर इसकी पेकिंग करनी चाहिए.
4.       चिकित्कीय सलाह हेतु प्रस्थान की तैय्यारी रखनी चाहिए.
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Tuesday, March 22, 2016

बारादरी – अजमेर की शान: बन रहा कूड़ा दान

बारादरी – अजमेर की शान: बन रहा कूड़ा दान
1.       चारों और पहाड़ों से घिरा, बीच में एक मन मोहक झील और झील के चारों और गंगा जमुनी तहजीब के चलते हर धर्म व जाती के लोग जहाँ रहते हैं वो शहर है अजमेर. जिसकी पहचान बारादरी के अलावा ख्वाजा साब की दरगाह, ब्रह्मा मंदिर पुष्कर, मेयो कॉलेज, गवर्नमेंट कॉलेज, सेंट अन्स्लम, सोफिया, कान्वेंट स्कूल आदि कई अन्य रूपों में भी होती है.
बारादरी का सुबह का नज़ारा ऐसा होता है जैसे पृथ्वी पर स्वर्ग उतर आया हो. वहाँ की सतरंगी छटा मन मोह लेती है.






बारादरी – अजमेर की शान: बन रहा कूड़ा दान
2.       लेकिन पुरातत्व विभाग, नगर निगम व अन्य संस्थाओं की बेरुखी के चलते यह खूबसूरत जगह एक कचरा दान में परिवर्तित होती दीख रही है. आज सुबह कई सीनियर सितिजन के अलग अलग समूहों ने मुझे ने दबी ज़बान में अपना दुह्ख प्रकट करते हुए कई दिनों से कचरा न उठाये जाने के कारण जगह जगह इकठ्ठे हो रखे गन्दगी के ढेर दिखाए. मुह पर मास्क लगा कर इनके फोटो भी लिए.





3.       अजमेर के मेयर ने एक बार सभा में एक एप्प का जिक्र किया और कहा की इस पर फोटो क्लीक करो और हमें भेजो, तुरंत सफाई हो जाएगी. लेकिन विडंबना ये की यह एप्प काम ही नहीं करता.
वहाँ अन्दर कोई ऐसा कार्यालय या कर्मचारी भी नहीं जिसे सफाई के बारे में शिकायत कर सकें.

4.       निराशा नहीं, विश्वास है: इस बेकद्री से मिलेगी निज़ाद
जहां एक और स्मार्ट सिटी की अफवाहें, दूजा स्वच्छ भारत अभियान, तीजा अजमेर में दुनिया भर की समाज सेवी संस्थाएं, उच्चतम न्यायालय के झीलों के संरंक्षण के आदेश और पांच पांच मंत्रियों के होते यदि अजमेर की शान हो रही है कचरा दान तो अजमेर वासियों समझ लो की शहर की किस्मत ही खराब है. अब इस फूटी किस्मत का सितारा कब चमकेगा इसका इंतज़ार रहेगा.
डॉ. अशोक मित्तल, मेडिकल जर्नलिस्ट, drashokmittal.blogspot.in
Facebook: ashok.mittal.37




Sunday, March 20, 2016

दक्षिणी ध्रुव के मध्य से प्रकाश की किरणें जिस मंदिर के शिखर के केंद्र बिन्दु तक अबाधित पहुंचती हैं वो है सृष्टि का प्रथम ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ !!

दक्षिणी ध्रुव के मध्य से  प्रकाश की किरणें  जिस मंदिर के शिखर के केंद्र बिन्दु तक अबाधित पहुंचती हैं वो है सृष्टि का प्रथम ज्योतिर्लिंग - सोमनाथ !!
29 जनवरी को प्रातः 6 बजे सोमनाथ स्टेशन पहुँच कर झटपट तैयार होकर एक ऑटो रिक्शा में लोकल भ्रमण हेतु चल दिए.
सोमनाथ मंदिर का बाह्य परिसर साफ़ सुथरा और सुन्दर एक विशाल मैदान जैसा है जो पुष्कर के मेला ग्राउंड से करीब चार गुना बड़ा है. प्रति वर्ष शिव रात्री, सूर्य ग्रहण, श्रावन पूर्णिमा पर भारी मेला लगता है जिसमे आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ये परिसर अनुकूल है. मंदिर के दो तरफ समुद्री लहरों के थपेड़े हैं, तीसरी तरफ पुराना सोमनाथ मंदिर है.

सुरक्षा व्यवस्ता सख्त हैमोबाइल फोनकेमरापर्स आदि सब बाहर एक लोकर में जमा करा कर एक अन्य बहुत बड़े काउंटर पर अपने जूते चप्पल जमा कराने के बाद फिर से सिक्यूरिटी चेक से गुजर कर जब भीतरी परिसर में पहुंचे तो वहाँ की सुन्दरता और सौम्यता ने ह्रदय को छू लिया. लाइट एंड साउंड शो तकनीकी खराबी के चलते बंद था. चारों ओर सुन्दर बगीचे के मध्य मंदिर की बाहरी व अंदरूनी वास्तुकला बहुत ही खूबसूरत है. महिलाओं को इस बात का सकून था की टॉयलेट्स स्वच्छ थे.. प्राचीन काल में कई बार इस मंदिर को लूटा गया और तोड़ा गया. पुराने मंदिर के अवशेष व फोटो की एक हाल में प्रदर्शिनी लगी हुई है. जिन्हे देख कर मन काफी व्यथित हुआ. आजादी के बाद इसका पुनर्निर्माण सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व में किया गया और 1951  में इसे देशवासियों को समर्पित किया गया.




विश्व के प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ का ऋग्वेदस्कन्द पूराण और महाभारत में वर्णन है. इसकी ऊंचाई सात फूट, घेरा तीन हाथ का और ज़मींन में दो हाथ गडा हुआ है. शिवलिंग की भोगोलिक स्थिति ऐसी है की इसके शिखर के मध्य बिंदु से प्रकाश की किरणें सीधे दक्षिण ध्रुव की धुरी तक अबाधित जाती हैं. पूजा के वक़्त ब्राह्मणों को बुलाने के लिए जो घंटा बजाया जाता है वो दो सौ मन का है.
भाल्का तीर्थ  
श्री कृष्ण की पगतली में जिस स्थान पर तीर लगा उसे भाल्का तीर्थ कहते  हैं. गुजरात के प्रभास-पाटन क्षेत्र में स्थित यह सोमनाथ से की.मी. दूरी पर है. गुजराती में भालका का मतलब है बाण याने तीर. 5500 वर्ष पश्चात भी वो पीपल का वृक्ष भाल्का तीढ़ में मौजूद है  जिसके नीचे योग समाधि में बैठे श्री कृष्ण का बांया चरण कमल किसी शिकारी ने एक अति सुन्दर मृग का मुख समझ कर भालका (बाण) चला दिया. तत्पश्चात अपनी भूल का पश्चाताप भी करने लगा और श्री कृष्णा से क्षमा याचना मांगने लगा. तब कृष्ण ने उसे आश्वासन दिया की ये सब तो उन्ही की इच्छा से हुआ है.


निज धाम 
निज धाम सोमनाथ मंदिर के 3 - 4 कि.मी. के दायरे में है. तीर लगने के बाद श्री कृष्ण अपने निज़धाम आ गए और अपनी योग शक्ति से सृष्टि में लीन हो गए. इस निजधाम में माता रुक्मणी की चूड़ियाँलड्डू गोपाल की सुन्दर मूर्तीपालना व अन्य वस्तुएं  रखी हुई हैं. मेरे साथ एक बिल्ली भी वहां आकर बैठ  गयी और मेरी ही तरह इन सब चीजों को ऐसे निहारने लगी जैसे वो मेरी कोई साथी हो. उसने फोटो भी प्यार से खिंचवाया. बाहर श्री कृष्णा के चरण पादुका एक गोल व सुन्दर छतरी में बीचों बीच स्थापित हैं. इनके दर्शन करके ऐसे एहसास हुआ जैसे हमारी यात्रा यहां आये बिना अपूर्ण थी. डॉ. शशि तो श्री कृष्ण की जन्म भूमि मथुरा में ही पैदा हुई और बचपन में रोज़ वहाँ दर्शन को जाती थी. तो इन सब बातों और वहां के स्पंदनों को महसूस करते हुए हमारी आँखें  भीग गईं. जिनका क्या कारण रहामन की किस दशा के वे सूचक थे इसका वर्णन करने के लिए मेरे पास कोई उचित स्पष्टी करण व शब्द नहीं हैं. लेकिन इस शाश्वत सत्य का ज़रूर स्मरण हुआ की जब स्रष्टि के रचयता को ही शरीर त्याग कर इस संसार से जाना पड़ा तो हम सब को भी जब कभी बुलावा आयेगा तो जाना ही होगा.







सूर्य मंदिर, पांडव गुफा व हिंगलाज माता मंदिर 
सूर्या मंदिर के बाजू में ही पांडव गुफा है जो इतनी संकरी है की में बहुत मुश्किल से करीब दौ मंजिल उतरकर  नीचे  पहुंचा जहाँ एक बड़े हाल में दूसरा छोटा हाल है. ऑक्सीजन की कमी से घुटन महसूस होने से मुझे उलटे पाँव लौट आना पड़ा. कहते यहाँ पांडव अपनी कुल देवी हिन्लाज़ माता की कृपा से ही सुरक्षित रह पाए थे. बाहर ही माता का स्थान है.
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Dr. Ashok Mittal, मेडिकल जर्नलिस्ट, drashokmittal.blogspot.in, facebook: ashok.mittal.37


Thursday, March 17, 2016

पेट में साडे पांच किलो की गाँठ से जान को खतरा : मिला जीवन दान

पेट में साडे पांच किलो की गाँठ से था जान को खतरा : मिला जीवन दान

44 वर्षीय महिला के बच्चे दानी में पनप रही साढे पाच किलो की गाँठ की शल्य क्रिया सफलता पूर्वक संपन्न कर अजमेर के एक निजी चिकित्सालय में डॉक्टरों ने किया कमाल. महिला अब पूर्णतया स्वस्थ है.
इतनी वजनी व बड़ी 24 से.मी. की गाँठ का ऑपरेशन अपने आप में एक चुनौती है. बच्चे दानी में इतने बड़े फ़ाइब्रोइड दुर्लभ होते हैं, इसका इतना बड़ा हो जाना मरीज की ओर से बरती गयी घोर लापरवाही का सूचक है. इन फ़ाइब्रोइड का कैंसर में परिवर्तित होने की पूरी पूरी सम्भावना होती है.
24 घंटे पश्चात फोन पर बात करने पर आज मरीज ने सकुशल होने का समाचार दिया व कहा की उसे इस गाँठ का कोई आभास ही नहीं हुआ. पेट फूलने पर वो इसे पेट में गैस भरना समझती रही. उसने अपना नाम भी ब्लॉग में लिख देने को कहा. पुरानी मंडी निवासी रेनू पत्नी श्री अनिल वर्मा ने ऑपरेशन के बाद संतुष्टि जाहिर की है.      
वैशाली नगर स्थित गेटवेल अस्पताल की निदेशक डॉ. अनुपमा मेहता व सर्जन डॉ. राजा मेहता ने बताया की उनके सर्जरी के लम्बे अनुभव के कारण इस ऑपरेशन को करने में उन्हें कोई परेशानी या हिचक नहीं हुई. चिकित्सा समुदाय से जुडे  IMA, PMPS व अन्य असोसिएशन के सदस्यों द्वारा लगातार उन्हें बधाई सन्देश मिल रहे हैं.
डॉ. राजा  मेहता व डॉ. अनुपमा 1997 से अब तक करीब 2०,000 से अधिक सफल ओपरेशन कर चुके हैं.

  
डॉ. अशोक मित्तल, मेडिकल जर्नलिस्ट, drashokmittal.blogspot.com
facebook/ashok.mittal.37    mittal.dr@gmail.com